भोपाल। देवगुरु बृहस्पति आज 1 मई बुधवार को शाम 4.20 पर मेष राशि छोडक़र वृष राशि में प्रवेश करेंगे। वृष राशि दैत्य गुरु शुक्राचार्य की राशि मानी जाती है। पंचांगकार एवं ज्योतिषाचार्य पं. विनोद गौतम ने बताया कि गुरु का शत्रु घर में प्रवेश करना आगामी एक वर्ष 14 दिन तक वृष राशि में ही गोचर करना गुरु ग्रह से संबंधित जातकों के लिए परेशानी पैदा करेगा। गुरु धर्म-कर्म, समाज, शिक्षा, तीर्थ, मंदिर आदि से संबंधित ग्रह है। यह अपनी शत्रु राशि में प्रवेश कर रहे हैं। ऐसे में गुरु की राशि धनु एवं मीन प्रभावित होगी, ऐसी स्थिति में राष्ट्र में धर्म परिवर्तन की स्थिति में बढ़ोतरी होगी। मार्गी-वक्री होकर गुरु १4 मई २०२५ ईश्वी तक वृष राशि में रहेंगे। गुरु के राशि परिवर्तन से अन्य राशियां भी प्रभावित होंगी।
गुरु के राशि परिवर्तन से अन्य राशियों पर पड़ेगा प्रभाव
मेष राशि वालों के लिए गुरु द्वितीय स्थान पर धनदायक रहेगा, वृष में गुरु का आना इस राशि वालों के लिए शुभता प्रदान करेगा। मिथुन राशि वालों को 1२वें स्थान पर गुरु व्ययकारक रहेगा। कर्क राशि वालों को 11वें स्थान पर गुरु लाभकारी रहेगा। सिंह राशि के जातकों को 10वें स्थान पर गुरु राज्यसुखकारी है। कन्या राशि वालों के लिए गुरु का भ्रमण नवम भाव पर भाग्यवर्धक रहेगा। तुला राशि के जातकों के लिए गुरु का भ्रमण अष्टम भाव में अशुभफलकारी है। वृश्चिक राशि वालों के लिए गुरु का भ्रमण सप्तम भाव में पत्नि सुखकारक रहेगा। धनु राशि वालों के लिए गुरु का भ्रमण षष्टम भाव में रोगकारक प्रभाव दे सकता है। मकर राशि वालों के लिए गुरु का गोचर पंचम भाव में संतान उन्नति कारक रहेगा। वहीं कुंभ राशि के जातकों के लिए गुरु का भ्रमण चतुर्थ भाव में संपत्ति सुखकारक रहेगा। मीन राशि वालों के लिए गुरु का भ्रमण तृतीय स्थान पर पराक्रम में वृद्धिकारक रहेगा।
गुरु ग्रह से संबंधित अनिष्ठ फल के निदान हेतु गुरु ग्रह शांति, पूजा, दान आवश्यक है। गुरु ग्रह को प्रसन्न करने के लिए पीली वस्तुओं का दान जैसे, सोना, पुखराज, पीला अनाज, चने की दाल, आदि गुरुवार के दिन विष्णु भगवान के मंदिर में अथवा किसी ब्राह्मण को दान करना चाहिए। गुरुवार का व्रत एवं पीपल के पेड़ में गुरुवार के दिन दीपक लगाना शुभकारी रहेगा।